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Thursday, March 5, 2015

:::खोज के लाओ :::

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              खोज के लाओ

कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया��
��एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया��
��सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला��
��कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..!��
��नुकीले दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था��
��चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था��
��फिर हुआ खड़ा एक वकील ,देने लगा दलील��
��बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है��
��इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है��
��ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है��
��दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है��
��अब ना देखो किसी की बाट��
��आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट��
��जज की आँख हो गयी लाल��
��तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल��
��तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता��
��लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता��
��जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो��
��कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो��
��फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला��
��हाँ, मैंने वो लड़की खायी है��
��अपनी कुत्तानियत निभाई है��
��कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना��
��माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना��
��पर मैं दया-धर्म से दूर नही��
��खाई तो है, पर मेरा कसूर नही��
��मुझे याद है, जब वो लड़की छोरी कूड़े के ढेर में पाई थी��
��और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी��
��जब मैं उस कन्या के गया पास��
��उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास��
��जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी��
��कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी��
��मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था��
��जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था��
��मैंने भू-भू करके उसकी माँ जगाई��
��पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई��
��चल मेरे साथ, उसे लेकर आ��
��भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला��
��माँ सुनते ही रोने लगी��
��अपने दुख सुनाने लगी��
��बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को��
��तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को��
��मेरी सासू मारती है तानों की मार��
��मुझे ही पीटता है, मेरा भतार��
��बोलता है लङ़का पैदा कर हर बार ��
��लङ़की पैदा करने की है सख्त मनाही��
��कहना है उनका कि कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही��
��वंश की तो तूने काट दी बेल��
��जा खत्म कर दे इसका खेल��
��माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी��
��इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी��
��कुत्ते का गला भर गया��
��लेकिन बयान वो पूरे बोल गया....!��
��बोला, मैं फिर उल्टा आ गया��
��दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया��
��वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी��
��मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जग रही थी��
��कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर��
��फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर��
��मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी��
��यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी��
��हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम��
��परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम��
��जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो��
��और खुद को इंसान कहलवाते हो��
��मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
��लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान��
��जो समाज इससे नफरत करता है��
��कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है��
��वहां से तो इसका जाना अच्छा��
��इसका तो मर जान अच्छा��
��तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते��
��लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते��
��लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते ..!! Please read and share.

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